
बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान को हिट एंड रन मामले में बांबे हाईकोर्ट से मिली झटपट जमानत से न्यायपालिका पर गरीबों और कम संपन्न लोगों के विश्वास को लेकर सवाल उठने लगे हैं। न्यायविद् और अपराध व न्याय से जुड़े लोगों का कहना है कि सलमान की जमानत उनकी बचाव टीम के स्मार्ट मैनेजमेंट का नतीजा है, वर्ना उनका जेल जाना तय था।
इन लोगों का मानना है कि न्यायिक व्यवस्था में इस तरह के मैनेजमेंट से आम लोगों का न्यायपालिका पर यकीन कम होगा। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर और बागपत से भाजपा सांसद सतपाल सिंह ने भी संसद के बाहर कहा कि सलमान की जमानत प्रकरण से न्यायपालिका पर गरीबों के विश्वास को तगड़ा झटका लगेगा।
26/11 मुंबई आतंकी हमला मामले के सरकारी वकील उज्ज्वल निकम के मुताबिक, देश की जेलों में दो सौ रुपये की चोरी और हजार रुपये की घूस लेने वाले लाखों लोग सिर्फ इसलिए कैद हैं क्योंकि उनके पास न्याय व्यवस्था के मैनेजमेंट के लिए पैसे नहीं हैं।
सलमान की जमानत के कानूनी आधार

उन्होंने कहा कि जनता का अपनी न्यायिक व्यवस्था और मुद्रा पर यकीन कम होने लगे तो यह उस देश की स्थिरता के लिए खतरे की घंटी है। निकम ने चेताया कि सरकार को इस घंटी को अनसुना करना महंगा पड़ेगा।
निकम ने कहा है कि वह सलमान की जमानत के कानूनी आधार और अदालत के फैसले पर सवाल नहीं खड़े कर रहे हैं। उनके मुताबिक पूरे मामले के पीछे का मैनेजमेंट ऐसा है जो आम लोगों की पहुंच से बहुत दूर है। जिनके पास मैनेजमेंट की ताकत है, उनके लिए न्याय की परिभाषा अलग हो जाती है। उन्होंने बताया कि जिस दिन सलमान को निचली अदालत से सजा सुनाई गई उनकी एक टीम दिल्ली में भी मौजूद थी ताकि जरूरत पड़ने पर बिना समय गंवाए सुप्रीम कोर्ट जाया जा सके।
मुंबई हाईकोर्ट में भी उसी वक्त जमानत की अर्जी लगाई गई। इसके लिए दिल्ली के बड़े वकील मुंबई में थे। जमानत के लिए निचली अदालत की कॉपी नहीं मिलने को आधार बनाया गया। जबकि जमानत की कॉपी सजा पर बहस के दौरान ही दोनों पक्षों को मिल जानी चाहिए थी। निकम ने कहा कि शुक्रवार को भी हाईकोर्ट में एक नए गवाह का नाम 13 साल में पहली बार लेकर बचाव पक्ष ने अदालत से समय ले लिया।