प्रेमी की याद में प्रेमिका ने बनवाया था ये मंदिर, ताज से भी पुरानी है कहानी
जब भी प्यार की निशानी की बात होती है ताजमहल का नाम जेहन में
आता है जिसे शाहजहां ने अपनी प्रेमिका की याद में बनवाया था। लेकिन बहुत कम
लोग जानते हैं कि भारत में एक ऐसा मंदिर है जिसे प्यार में डूबी एक रानी
ने अपने प्रेमी के लिए बनवाया था। इस मंदिर का इतिहास ताजमहल से भी पुराना
है।
रायपुर। राजधानी से 85 किलोमीटर दूर स्थित सिरपुर का लक्ष्मण
मंदिर सिर्फ प्राचीन स्मारक नहीं अगाध प्रेम का अनूठा शिल्प भी है। छठवीं
शताब्दी में भारत आए चीनी यात्री व्हेनसांग ने भी अपने यात्रा वृत्तांत में
इस मंदिर का उल्लेख किया है। इस मंदिर की प्रेम कहानी ताजमहल से भी अधिक
पुरानी है। मंदिर की खुदाई में प्राप्त शिलालेखों से पता चला है, इसका
निर्माण 635-640 ईसवीं में राजा हर्षगुप्त की याद में रानी वासटादेवी ने
करवाया था।
भूकंप और बाढ़ का असर नहीं
लक्ष्मण मंदिर की सुरक्षा और संरक्षण के कोई विशेष प्रयास न किए जाने के
बावजूद मिट्टी के ईंटों की यह इमारत अपने निर्माण के चौदह सौ सालों बाद भी
शान से खड़ी हुई है। 12वीं शताब्दी में भयानक भूकंप के झटके में सारा
श्रीपुर (अब सिरपुर) जमींदोज़ हो गया। चौदहवीं-15वीं शताब्दी में
चित्रोत्पला महानदी की विकराल बाढ़ ने भी वैभव की नगरी को नेस्तनाबूत कर
दिया लेकिन बाढ़ और भूकंप की इस त्रासदी में भी लक्ष्मण मंदिर अनूठे प्रेम
का प्रतीक बनकर खड़े रहा है। हालांकि इसके बिल्कुल समीप बना राम मंदिर पूरी
तरह ध्वस्त हो गया और पास ही बने तिवरदेव विहार में भी गहरी दरारें पड़ गई।
ताज से 11 सौ साल पहले बना यह मंदिर
आगरा में अपनी चहेती बेगम आरजूमंद बानो (मुमताज) की स्मृति में
शाहजहां ने ईसवी 1631-1645 के मध्य ताजमहल का निर्माण कराया। सफेद संगमरमर
के ठोस पत्थरों को दुनियाभर के बीस हजार से भी अधिक शिल्पकारों द्वारा
तराशी गई इस कब्रगाह को मुमताज महल के रूप में प्रसिद्धि मिली। ताजमहल से
लगभग 11 सौ वर्ष पूर्व शैव नगरी श्रीपुर में मिट्टी के ईंटों से बने स्मारक
में विष्णु के दशावतार अंकित किए गए हैं और इतिहास इसे लक्ष्मण मंदिर के
नाम से जानता है।
नारी के मौन प्रेम और समर्पण का प्रतीक
साहित्यकारों के अनुसार ताजमहल पुरूष के प्रेम की मुखरता और लक्ष्मण मंदिर
नारी के मौन प्रेम और समर्पण का जीवंत उदाहरण है। वहीं इतिहासकारों का
मानना है कि यदि ताजमहल और लक्ष्मण मंदिर का तुलनात्मक पुनर्लेखन किया जाए
तो लक्ष्मण मंदिर सबसे प्राचीन प्रेम स्मारक सिद्ध होगा।
लाल ईंटों से बना मौन प्रेम का साक्षी
यूरोपियन साहित्यकार एडविन एराल्ड ने ताजमहल को जीवित पत्थरों से
निर्मित अगाध प्रेम की संज्ञा दी, वहीं लक्ष्मण मंदिर को लाल ईंटों से बना
नारी के मौन प्रेम का साक्षी बताया।