जौनपुर। सरकार की अतिमहत्वाकांक्षी फसल बीमा योजना सरकार की अदूरदर्शिता की वजह से परवान नहीं चढ़ रही है। इसके लाभ से किसान दूर हो गया है। प्राकृतिक आपदा से आहत किसानों को फसल बीमा योजना से जो कुछ राहत मिलने की आस दिखाई दी थी वह भी किसानों से दूर होता दिखाई दे रहा है। ज्ञात हो कि समाज की खुशहाली का रास्ता गांवों से होकर जाता है। पहले राजनीति के केन्द्र में गांव व देहात था। आज मध्ण्यम वर्ग कारपोरेट के सरोकार को लेकर विदेशी निवेश को ललचाने की बात हो रही है। लेकिन खेती किसानी से जुड़े सरोकार हांसिये पर है। कोई बड़ा नेता नहीं दिख रहा है जो किसानों के हितों को सर्वोपरि रखता हो। चाहे बिजली पानी, खाद, बीज का समर्थन मूल्य जैसे ढाचागत मुद्दे किसानों के सामने सुरसा की तरह मुंहा खोले है। वहीं बेमौसम बारिश, तेज हवा व ओला वृष्टि ने किसानों के सामने संकट पैदा कर दिये है। किसानों को इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए फसल बीमा योजना से कुछ आस जगी थी लेकिन सरकारी नीतियों में खामी के चलते इसके लाभ से आज किसान वंचित हो रहा है। प्रदेश में 2007-08 से आज तक 100 किसानों को भी मौसम आधारित फसल बीमा योजना का लाभ नहीं मिल सका। क्योकि खराब मौसम और फसल बर्बादी के आंकलन की जटिल प्रक्रियाके कारण किसान इसके लाभ से वंचित रहा गया है। फसल बीमा के लिए किसानों से प्रीमियम तो व्यक्तिगत लिया जाता है लेकिन आपदा आंकलन और मुआवजा क्षेत्रवार तय होता है जो पूरी तरह से गलत है। सूखा राहत आज तक किसानों को नहीं मिल पाया। रविफसलांे के दौरान हुई आंधी पानी से नुकसान के बात शासन प्रशासन के गले ही नहीं उतर रही है।