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Saturday, 21 March 2015


वैज्ञानिकों का देश प्रगति में अमूल्य योगदान

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के संगोष्ठी भवन में बायो टेक्नोलाॅजी विभाग द्वारा आयोजित जैव प्रौद्योगिकी एवं मानव कल्याण विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ बीएचयू के पूर्व कुलपति पद्यश्री डा. लालजी सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा कि मानव अफ्रीकी महाद्वीप से अण्डमान-निकोबार भारत होते हुए दक्षिण पूर्व एशिया की ओर गया था। अफ्रीकी महाद्वीप के मलाई झील के पानी का 95 प्रतिशत जल सूख जाने के कारण सम्भावना है कि उनका पलायन हुआ हो। यह पलायन 135 से 75 हजार वर्ष पूर्व हुआ। डा. सिंह ने कहा कि भारत में 4635 परिभाषित जनसंख्या के प्रकार हैं। 532 जनजातियां हैं जो कि हमारी कुल जनसंख्या की 7.76 प्रतिशत हैं। काश्मीरी पण्डित, पाकिस्तानी पठान और यूरोपियन में काफी आनुवांशिक समानताएं पायी गयी हैं। इस तरह भारत में पश्चिम बंगाल और केरल, चीन तथा पूर्वोत्तर भारत के लोगों में भी काफी आनुवंशिक समानताएं हैं।यूरोप की जिप्सी जनजाति की आनुवांशिक समानता भारत के आंध्र प्रदेश की जनजाति से मेल खाती है। इससे यह सिद्ध होता है कि यहां के मूल निवासी यूरोप तक गये। इस जनजाति के केवल 12 लोग की बचे हैं। इसके मूल कारणों में से एक प्रमुख का इण्डोगामी है। इस जनजाति के लोग आपस में ही वैवाहिक सम्बन्ध बनाते हैं। इनकी रोग प्रतिरोधी क्षमता कम होते रहने के कारण आज इनका अस्तित्व ही संकट में है। उन्होंने कहा कि अध्ययनों से यह भी स्पष्ट हुआ है कि आर्य एवं द्रविड़ जैसी कोई प्रजाति नही थी। आर्य स्थानीय थे। अध्यक्षीय उद़बोधन में कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि हमारे वैज्ञानिकों ने देश की प्रगति में अपना अमूल्य योगदान दिया है। आज आवश्यकता है कि जैव विविधता के जरिये हम फल और सब्जियों के उत्पादन तथा संरक्षण में और व्यापक विस्तार दें। आवश्यकता अन्वेषण की जननी है। हम सभी उत्तम प्राप्त करना चाहते हैं। सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक बदलाव के चलते आवश्यकता बदलती रहती है। इसी के चलते नये-नये अन्वेषण जन्म लेते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन प्रकृति का खूबसूरत तोहफा है। आज हमारी प्रगति हरित क्रांति, श्वेत क्रांति एवं आई.टी. के चलते ही वैश्विक स्तर पर हो पायी है। जिस तरह आई.टी. के फैलाव को आज जीवन के हर क्षेत्र में महसूस किया जा रहा है। उसी तरह वैज्ञानिक शोधों को भी आम जन तक ले जाने की जरूरत है।कार्यक्रम के पूर्व विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा कुलगीत एवं सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की गयी। स्वागत प्रो. डी.डी. दूबे ने किया। डा. प्रदीप कुमार ने मुख्य अतिथि का परिचय प्रस्तुत किया। संगाष्ठी के विषय वस्तु एवं तकनीकी सत्रों पर आयोजन सचिव डा. वन्दना राय ने प्रकाश डाला। संचालन डा. एच.सी. पुरोहित द्वारा एवं आभार प्रो. वी.के. सिंह द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रो. रामजी लाल, डा. अविनाश पाथर्डिकर, डा. रामनारायन, डा. अजय प्रताप सिंह, डा. संगीता साहू, डा. मनोज मिश्र, डा. राजेश शर्मा, डा. एस.पी. तिवारी, डा. प्रवीण प्रकाश, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. अमरेन्द्र सिंह, डा. विनय वर्मा सहित प्रतिभागीगण एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।

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