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Thursday, 2 April 2015

बच्चे की स्कूल फीस नहीं चुका पाया तो पिता से कराई मजदूरी


गुना। निजी स्कूल संचालक शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) को मानने को तैयार नहीं हैं। संचालक न केवल गरीब बच्चों पर फीस के लिए अनावश्यक दबाव बना रहे हैं, बल्कि उनसे अमानवीय व्यवहार भी किया जा रहा है। जिले के बीनागंज कस्बे में अमानवीयता का एक मामला सामने आया, जिसमें स्कूल प्रबंधन ने बच्चे की फीस न चुका पाने पर उसके पिता से एक माह तक मजदूरी करवाई। फिर भी स्कूल प्रबंधन फीस की मांग कर रहा है। इससे तंग आकर अभिभावक ने मंगलवार को चाचौड़ा बीईओ से शिकायत दर्ज की।
केस- 1: खुशी ज्यादा देर नहीं रह सकी
सांवलुपर के रामहेत मीणा का बेटे ललित बीनागंज के ज्ञान सागर स्कूल में कक्षा दो में पढ़ता है। जब उसके बच्चे का इस स्कूल में बगैर फीस दिए एडमिशन हुआ तो उसे बड़ी खुशी हुई लेकिन यह खुशी ज्यादा देर नहीं रह सकी। प्रबंधन ने उससे फीस मांग ली। ललित के पिता ने कहा कि उसके बच्चे का एडमिशन तो आरटीई के तहत गरीब बच्चों के कोटे से हुआ है। लेकिन उसकी एक नही सुनी गई। स्कूल संचालक गोरेलाल यादव ने रामहेत के सामने शर्त रखी कि वह स्कूल के निर्माण में एक महीने तक मजदूरी कर फीस चुका सकता है। उसने मजबूरीवश शर्त मान ली। एक महीने तक काम भी किया। इसके बाद भी बच्चे को स्कूल से निकाल दिया। अब धमकी दी जा रही है कि सात अप्रैल से होने वाली परीक्षाओं में भी शामिल नहीं होने दिया जाएगा। इससे तंग आकर रामहेत ने मंगलवार को स्कूल प्रबंधन की शिकायत चाचौड़ा बीईओ दशरथ सिंह मीणा से की है। बीईओ ने स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है। स्कूल संचालक गोरेलाल यादव का कहना है कि बच्चे के पिता से हमारी बात हो गई है। विवाद जैसी कोई बात नहीं है।
केस-2: महंगी किताबें न लेने पर बच्चों को भगाया फिर हाईकोर्ट का ऑर्डर भी नहीं माना
शहर के शांति पब्लिक स्कूल प्रबंधन ने जुड़वा भाई राजकुमार यादव और राजीव यादव को आठवीं की परीक्षा देने से मना कर दिया है। दोनों बच्चों के पिता नंदकुमार यादव ने बताया कि मैंने सिर्फ स्कूल प्रबंधन द्वारा दी जा रही महंगी किताबों को लेने से मना कर दिया था। इससे खफा स्कूल प्रबंधन ने दोनों बच्चों को अगले दिन से स्कूल नहीं आने की धमकी दी। इस मामले को मैें हाईकोर्ट ले गया। हाईकोर्ट ने भी स्कूल प्रबंधन को निर्देश दिए कि दोनों बच्चों कोकक्षा में बैठने की अनुमति दे और परीक्षा भी देने दे। हाईकोर्ट आदेश की प्रति लेकर नंदकुमार गुहार लगाने स्कूल पहुंचा, लेकिन प्रबंधन ने एक नहीं सुनी। अब इस मामले को लेकर अभिभावक नंदकुमार शिक्षा विभाग और प्रशासन के चक्कर भी काट रहा है, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई। उधर स्कूल संचालक तस्र्ण वाधवा का कहना है कि दोनों बच्चों का यह केस हाईकोर्ट में है, इसलिए कुछ नहीं कह सकता।
केस-3: एडवांस फीस न भर पाने पर बिटिया का एक साल बर्बाद
मधुसूदनगढ़ निवासी रघुवीर कुशवाह ने ट्रैक्टर मैकेनिक हैं। उनकी बेटी प्रियंका प्रेरणा कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ती थी, लेकिन एलकेजी से कक्षा 1 में प्रवेश के दौरान स्कूल वालों ने फीस के एडवांस पांच हजार रुपए मांग लिए। गरीबी रेखा का राशनकार्ड होने के बाद भी बच्ची को नि:शुल्क प्रवेश नहीं दिया। स्कूल वालों की टालमटोल की वजह से समय गुजर गया और वह उनकी बिटिया का सरकारी स्कूल में भी दाखिला नहीं हो सक। इससे बच्ची का एक साल बर्बाद हो गया।
क्या कहते हैं अधिकारी
आरटीई के तहत निजी स्कूलों में गरीब बच्चों को नि:शुल्क प्रवेश देकर किसी तरह की फीस नहीं ली जा सकती। कुछ मामलों में शिकायत आई है, इसकी मैं खुद जांच करूंगा।
संजय श्रीवास्तव, डीईओ, गुना

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