जौनपुर। बीते दिनों हुई तेज हवाओं के चलते गेहूं की फसल को तो नुकसान हुआ ही है साथ ही इसका असर बागवानी की फसल पर भी पड़ा है। बारिश की वजह नमी के कारण मौसम कीट के लिए अनुकूल हो गया है। इससे सबसे ज्यादा असर आम की फसल पर पड़ेगा। बीते दिनों हुई वर्षा ने आम के पेड़ों पर जमी मिट्टी को धुल दिया है। ऐसे में अब पेड़ों का तना, पत्ती व बौरों पर कीट का प्रकोप बढ़ सकता है। दर असल बारिश के कारण बारिश के कारण वातवरण में नमी से गुजिया कीट जमीन से निकलकर पेड़ों पर चढ़ जाते है। यह कीट सबसे पहले पत्तियों को अपना शिकार बनाते हैं। फिर बौर के आते ही फसल के फूलों का रस चूस लेते हैं। यह कीट हल्के लाल व सफेद रंग के होते हैं। दनकी लम्बाई दो से तीन मिमी होती है। आम कीफसल को गुजिया कीट के प्रकोप से बचाने के लिए बेहद जरूरी है कि उसे किसी भी तरह पेड़ पर चढ़ने से रोका जाय। इस कीट की फसल के बचाव के लिए किसानों को बाग में जल्द से जल्द जुताई कर देनी चाहिए। इससे कीट के बिल नष्ट हो जायेगें। जुताई के साथ साथ पेड़ों के तना पर दो से ढाई फिट तक कई परत में पालिथीन कास कर लपेट लेनी चाहिए। इससे गुजिया पेड़ पर नहीं चढ़ने पायेगें। अगर कीट पेड़ के तने पर चढ़ गये तो चार प्रतिशत मोनो क्रोटोपास एक मिली एक लीटर पानी में घोल का छिड़काव 15 दिनों में अन्तराल पर करना चाहिए। इसके साथ ही आम के बौर निकलने के समय मिज कीट का प्रकोप दिखाई पड़ते ही फेनिट्रोथियान या डायमेथेएट घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।