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Friday, 1 May 2015

विदेशी राहत टीमों को वापस भेजो: नेपाल आर्मी

नेपाल की पहाड़ियों में हजारों लोगों तक भले ही मदद का एक भी हाथ नहीं पहुंच सका हो लेकिन श्रेय की सियासत शुरू हो गई है। भारत सहित दूसरे देशों की मीडिया जिस तरह से अपने-अपने देश के आपदा राहत काम पर फोकस कर रही है उससे नेपाली आर्मी खफा है। सरकार से नेपाली आर्मी ने मांग की है कि अब विदेशी बचाव दलों को वापस भेज दिया जाए, सेना बचा काम खुद देख लेगी। 
नेपाल भूकंप के बाद अंतरराष्ट्रीय सहयोग का तांता सा लग गया। इस समय भारत, चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, कोरिया, पौलैंड, जापान, श्रीलंका, सहित 15 से अधिक देशों के आपदा राहत नेपाल में बचाव कार्य में लगे हैं। भूकंप की भयावहता ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान भी खींचा है। काठमांडू सहित आसपास के जिलों में कई देशों के मीडिया कर्मी जुटे हैं। आपदा राहत का मोर्चा संभाल रही नेपाल आर्मी को लग रहा है उनकी मेहनत का कहीं मूल्यांकन नहीं हो पा रहा है। इसके चलते विदेशी टीमों से समन्वय भी काफी प्रभावित हो रहा है। नेपाल आर्मी की डिजास्टर मैनेजमेंट विंग ने नेपाल गृह मंत्रालय को लिखा है कि भूकंप के पांच दिन बाद अब कहीं भी फंसे लोगों के जिंदा बचे होने की संभावना न के बराबर है। नेपाल गृह मंत्रालय भी इसकी पुष्टि कर रहा है कि नेपाल आर्मी चाहती है कि वहां रेस्क्यू में लगी टीमों को उनके देश भेज दिया जाए। जल्द ही इस पर उच्चस्तरीय बैठक हो सकती है। नेपाल में राहत कार्यों में लगी इंडियन एयरफोर्स की टीम और नेपाल आर्मी के बीच खट-पट की चर्चा जोरों पर है। नेपाल मीडिया की मानें तो नेपाल आर्मी का कहना है कि इंडियन आर्मी अपने काम को कूछ ज्यादा ही प्रचारित कर रही है। आपत्ति को देखते हुए दो दिनों से हवाई रेस्क्यू ऑपरेशन में इंडियन आर्मी ने मीडिया टीम को साथ ले जाना लगभग बंद कर दिया है।

दूसरी तरफ, खराब मौसम और तालमेल के अभाव के चलते भूकंप प्रभावित नेपाल के सुदूर इलाकों में मौजूद जरूरतमंदों तक अंतरराष्ट्रीय मदद पहुंचाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। राहत प्रयासों की धीमी गति को लेकर यहां लोगों में गुस्सा बढ़ गया है। अंतरराष्ट्रीय मददकर्मी अब तक काठमांडू में ही फंसे हुए हैं। शनिवार को आए भूकंप में लगभग 6,000 लोगों की मौत हो चुकी है और कम से कम 11,000 लोग घायल हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि भूकंप के कारण 80 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। 
राहत और बचाव अभियान काठमांडू घाटी में ही केंद्रित हो गए हैं, जिसके चलते अन्य प्रभावित जिलों में खोज कार्यों के लिए जरूरी प्रशिक्षित मैनपावर की भारी जरूरत है। मीडिया में आई एक खबर में बताया गया कि ब्रिटेन के एक दल को छोड़कर सभी विदेशी बचाव दल काठमांडू घाटी में तैनात किए गए हैं। एक स्थानीय जन स्वास्थ्यकर्मी ने कहा कि सरकार की ओर से निर्देश और सूचना उपलब्ध करवाने में हो रही देर के कारण सुदूर जिलों में तत्काल राहत प्रयास अवरुद्ध हो रहे हैं। नेपाल के सूचना एवं संचार मंत्री मिनेंद्र रिजाल ने कहा कि राहत अभियान जारी हैं लेकिन और बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

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