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JAUNPUR Breaking News-रंगोली पोस्टर बनाकर मतदाताओं को किया जागरूक।

Friday, 3 April 2015

राजनाथ के सामने BSF जवानों ने उठाए नीति पर सवाल

 नई दिल्ली 
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह पश्चिम बंगाल के अपने दो दिनों के दौरे में बीएसएफ के जवानों की मुश्किलों से रूबरू हुए। उन्होंने पाया कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर तैनात बीएसएफ के जवान अपनी दिक्कतों से काफी परेशान हैं। इन जवानों ने छुट्टियों, पोस्टिंग और सरकार की पेंशन पॉलिसी के बारे में मंत्री से जमकर शिकायत की। सिंह ने दो ठिकानों पर 200 जवानों के ग्रुप से मुलाकात की। वह अंगरेल बॉर्डर आउटपोस्ट और तीन बिगहा कॉरिडोर (कूच बिहार जिला) पर तैनात जवानों से मिले। सिंह ने जवानों को आश्वासन दिया कि वह उनके इस अनुरोध पर सकारात्मक तरीके से विचार करेंगे, जिसमें अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ड्यूटी करते वक्त जख्मी हुए बीएसएफ कर्मी की पोस्टिंग उनके होम स्टेशन के पास करने की मांग की गई है। 
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि जवानों ने इसकी खास तौर पर मांग की थी क्योंकि उन्हें भारतीय सेना के जवानों की तरह कभी भी शांतिपूर्ण जगहों पर पोस्टिंग नहीं मिलती है। बीएसएफ के जवानों की ड्यूटी हमेशा पाकिस्तान और बांग्लादेश से सटे बॉर्डर पर लगती है, लिहाजा सिंह ने शांतिपूर्ण लोकेशन पर भी फील्ड पोस्टिंग की मांग की गई है। बीएसएफ के जवानों ने मंत्री से सालाना कैजुअल लीव कोटा को 15 से बढ़ाकर 27 करने की मांग की। जवानों का कहना था कि उन्हें बॉर्डर से घर पहुंचने में लंबा वक्त लग जाता है, लिहाजा छुट्टियों की संख्या बढ़नी चाहिए। उनकी यह भी शिकायत थी कि 2004 के बाद जॉइन करने वालों के लिए पेश की गई न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) पिछली पेंशन स्कीम के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद नहीं है। हालांकि, गृह मंत्री ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि वह इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं क्योंकि यह सरकार की पॉलिसी से जुड़ा फैसला है। 
पिछले साल सितंबर में भी सिंह को कुछ इसी तरह के अनुभव से गुजरना पड़ा था, जब उन्होंने अपने झारखंड दौरे में सीआरपीएफ के जवानों की शिकायतें सुनी थीं। वह मोटरसाइकिल चलाते हुए नक्सल प्रभावित सारंडा के जंगलों में पहुंचे थे। उस वक्त सीआरपीएफ के जवानों ने शिकायत की थी कि नक्सलियों से लड़ने के लिए उन्हें दिया जाने वाला 'रिस्क अलाउंस' छुट्टी पर जाने की हालत में उनकी सैलरी से काट लिया जाता है। इन लोगों ने सिंह से बुलेट प्रूफ हेड गियर जैसी सुविधाएं नहीं होने की भी शिकायत की थी। 
सिंह ने दिल्ली लौटने के बाद सीआरपीएफ में सिस्टम को और बेहतर बनाने के लिए कमिटी बनाई थी। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, 'जवानों को होम मिनिस्टर से सीधे बात करने का मौका काफी कम मिल पाता है। इस तरह की बातचीत से मंत्री को जवानों की वास्तविक समस्याओं के बारे में जानने में मदद मिलती है। जवान भी इस बात से संतुष्ट होते हैं कि उनकी शिकायत सीधे टॉप लेवल पर पहुंची है।'

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